नई दिल्ली। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि अधिवक्ता पूर्णकालिक या अंशकालिक आधार पर वकालत के साथ पत्रकारिता का कार्य नहीं कर सकते। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने बीसीआई के रुख को स्वीकार किया है। बीसीआई ने अपनी नियमावली के नियम 49 का हवाला देते हुए कहा कि वकीलों को अन्य व्यवसाय या नौकरी करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
इस मामले में याचिकाकर्ता ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि वह अब पत्रकार के रूप में काम नहीं करेंगे और केवल अधिवक्ता के रूप में अपने कार्य करेंगे। यह मामला वकील और पत्रकार मोहम्मद कामरान द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है।
पीठ ने बीसीआई के इस निर्णय को मान्यता देते हुए कहा कि वकील के पेशे में पूर्णकालिक प्रतिबद्धता होनी चाहिए और पत्रकारिता जैसे अन्य कार्यों में संलग्न होना नियमों का उल्लंघन है। बीसीआई का यह रुख साफ करता है कि वकालत के पेशे की गरिमा और उसकी प्राथमिकता बनाए रखने के लिए अधिवक्ताओं को अन्य पेशों से अलग रहना होगा।